पितृ पक्ष आज से, जाने इसका क्या है महत्व: 17 सिप्तम्बर से शुरू, 15 दिनों का होता है यह

Arnav Patel
Khabar Bhaskar

हिन्दू मान्यता के अनुसार अगर पितर पक्ष मे पूर्वजो का पिंड दान किया जाए तो इससे उन्हे मोक्ष की प्राप्ति होती है।

पिंड दान करने का रहस्य यह है के जब मृत्यु के बाद हमारे पूर्वज यमलोक की ओर अग्रसर होते है तो इस पिंड दान से उन्हे बल मिलता है और उन्हे मोक्ष की प्राप्ति होती है।

पितृ पक्ष मे गया जी मे पिंड दान करने का खासा महत्व है, आगे उसके बारे मे और विशेष जानेंगे। मान्यता के अनुसार पितर पक्ष मे हमारे पूर्वजों को यमराज अपने कैद से आजाद कर देते है, और हमारे पूर्वज इस समय हमारे पास आते है। और यही वो समय है जब हम अपने पित्रों को मोक्ष की प्राप्ति करवा सकते है।

पहले थोरा गया की महत्वता के बारे मे जान ले। पौराणिक कथा के अनुसार एक समय की बात है गयासुर नाम का एक असुर रहता था, उसने घोर तपस्या कर के भगवान् ब्रह्मा जी को प्रसन्न किया और उनसे मनचाहा वरदान प्राप्त किया के कोई भी व्यक्ति अगर कोई पाप करता है और उसके बाद गायसुर का स्पर्श कर ले तो उसके सारे पाप धूल जायेंगे। इस बात का बाकी असुरो ने दुरूपयोग करना शुरू कर दिया और अनेको पाप करने के पच्यात् असुर आकर गायसुर का स्पर्श कर लेते और उनके सारे पाप धूल जाते। इससे पूरे संसार मे आतंक बहुत बढ़ गया, परन्तु गायसुर एक अच्छा व्यक्ति भी था। इस इस्तिथि से देवताओ मे हाहाकार मच गया और इसके समाधान के लिए सारे देवतागण भगवान् ब्रह्म के पास गए। तब ब्रह्म जी ने इसके समाधान के लिए भगवान् विष्णु जी के पास जाने का सुझाव दिया। तब विष्णु जी ने स्वयं जा कर गायसुर का वध किया। गायसुर भगवान् विष्णु का परम भक्त था इसलिए उसने अपना शरीर त्यागने का निर्णय लिया । जब विष्णु जी ने उसका वध किया तो गयासुर जमीन मे पाँच मील मे फैल गया और बाद मे उस जगह को ही आज के गया के रूप मे जाना जाता है।

आइये आगे जानते है के गया मे पिंड दान करने का क्या खासा महत्व है।

जैसा की हमने बताया के हमारे पितृ मृतुलोक के बाद भी यमराज के पास रहते है और उन्हे पितृ पक्ष मे हमे आशीर्वाद देने की अनुमति मिलती है, वैसे भी हमारे पूर्वज हमे निरंतर देखते रहते है और अगर हम इस पितृ पक्ष मे पिंड दान करते है तो उन्हे मोक्ष की प्राप्ति होती है और इस जीवन मरण से छुटकारा मिल जाता है!

रामायण काल के समय भी भगवान् श्रीराम और माता सीता ने भी अपने पिता दशरथ जी का पिंड दान स्वयं गया मे आकर किया था और ऐसीही कथा महाभारत काल के समय भी सुनने को मिलती है जब पांडव ने भी गया आकर महाभारत युध् के बाद अपने पूर्वेज़ो का पिंड दान किया था। इन सब बातो से भी गया मे पिंड दान का खासा महत्व बढ़ जाता है।

हिंदु मान्यता के अनुसार अगर किसी व्यक्ति कि अकाल मृत्यु होती है तो उसे प्रेत योनी मिलती हैं। इस परिस्तिथि मे उनका पिंड दान गया मे ही इस्थित प्रेतशिला पर्वत पर करना चाहिए अथवा पर्वत के भु भाग मे इस्थि ब्रह्म कुंड मे करने से उन्हे मोक्ष कि प्राप्ति होती है।

यहाँ के प्रसिद्ध नदी फलगु नदी के किराने स्थित है रामशीला पहाडी जिसका उल्लेख रामायण काल से मिलता है, और उसके पास मे ही विष्णु पद मन्दिर भी है जहाँ लोगो को अवस्य जाना चाहिए।

गया क्यों की देश मे ऐक प्रसिद्ध एवम पवित्र जगह है, यहाँ पर लोग यातायात के तीनो साधन: रेल हवाई व सड़क मार्ग से आसानी से पहुँच सकते है।

अतः हमने आज जाना के क्यू खास है गया मे पिंड दान करना और क्या है इसका पौराणिक महत्व।।।

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