Chhath Puja:दोस्तो बिहार का सबसे महत्वपूर्ण पर्व और विश्व का सबसे कठिन पर्व छठ पूजा के लिए घाट सजने लगा है। चारों तरफ छठ पूजा की तैयारी पूरे जोरो शोर से चल रही है। खासकर पटना में इस महापर्व की छठा देखने लायक ही होती है।
Chhath Puja की शुरुआत कैसे होती है?
यह महापर्व घाटों की साफ सफाई से शुरू होती है, चार दिन का यह महापर्व कई मायनों में बहुत खास होता है। आइए जानते है इसके बारे में:
Chhath Puja: दोस्तो क्यों इसे महापर्व कहा जाता है?
दोस्तो बताना चाहूंगा के छठ महापर्व की शुरुआत नहाय खाए से शुरू होता है। अगले दिन खड़ना का व्रत किया जाता है। फिर उसके अगले दिन घाट पर जा कर शाम में डूबते सूर्य को अर्ग दिया जाता है जिसे पहला अर्ग भी कहते है, फिर चौथे दिन सुबह में ही उगते सूर्य को अर्ग दे कर पारण करने के साथ इस महापर्व की समाप्ति होती है।
Chhath Puja: नहाय खाए
जो लोग इस छठ पूजा को करते है उन्हें छठ व्रती कहते है। पहले दिन छठ व्रती सुबह सुबह ही उठ कर स्नान आदि करते है फिर पूजा पाठ करके भोजन को ग्रहण करते है। इस दिन का खाना बहुत ही नियम से बनाया जाता है। लहसुन प्याज जैसे तामसिक चीजों का इस्तेमाल इसमें नहीं होता है।
भोजन में इस दिन चना दाल, कद्दू की सब्जी, चावल वगैरा खाया जाता है।
Chhath Puja: खड़ना पूजा के दिन क्या होता है।
इस दिन व्रती दिन भर निर्जला उपवास करते है। दिन में कुछ भी नहीं खाया जाता है। रात होने के बाद ही खड़ना पूजा करने के बाद एक टाइम खाया जाता है। खड़ना में लोग गुड़ का खीर, रोटी, फल के साथ भोजन करते है, और जो भी मौसम के फल होते है उसे खाया जाता है।
Chhath Puja: पहला अर्ग में क्या होता है।
इस दिन एकदम सुबह में ही, ब्रह्म मुहूर्त के पहले ही व्रती लोग जग कर ठेकुआ पूरी बनाते है। और छठ घाट जाने के लिए ढाक को सजा लेते है। इस दिन भी व्रती निर्जला व्रत रखते है, और शाम में डूबते सूर्य को अर्ग दिया जाता है। इसके बाद घाट से घर लौटने के बाद घर में कोसी भी भरा जाता है। इसके लिए गन्ने को पिरामिड रूप में आकार देकर उसके अंदर दीप दिए जलाए जाते है। साथ ही जो ठेकुआ पूरी बनता है और फल को मिलाकर सभी की पूजा की जाती है। फिर उसी रात को वही कोसी भरने की प्रक्रिया फिर से घाट पर जाकर भी करना होता है।
Chhath Puja: दूसरा अर्ग या कहे तो पारण
इस दिन सुबह ही जब लोग घाट पर कोसी भर कर आते है फिर आते के साथ ही फिर सुबह में सूर्य उदय के पहले ही व्रती के साथ फिर से घाट पर जाते है। तब एक साथ लोग सूर्य उदय की प्रतिक्षा करते है। और सूर्य उदय होने के साथ सूर्य भगवान को अर्ग दिया जाता है। वहीं घाट पर छठ माता का कथा सुना जाता है। वहीं पर दान आदि करने के बाद सारे लोग अपने अपने घर आ जाते है। उसके बाद घर पर बने हुए पारण के भोजन चावल दाल पकौड़ी सब्जी खाने के बाद इस महापर्व का समापन होता है।
Chhath Puja: पारण के दिन क्या होता है।
इस दिन लोग घाट से आने के बाद पारण के प्रसाद को ग्रहण करने के बाद एक दूसरे को इसका प्रसाद देते है। किसी कारण अगर किसी के घर छठ नहीं हो पता है तो उसे छठ का प्रसाद देने की परंपरा है। इस दिन सारे परिवार एक साथ मिल कर छठ के प्रसाद का आनंद लेते है। छठ एक ऐसा पर्व है जिसमें सारे परिवार एक दूसरे से मिलने जरूर आते है चाहे वो कही भी रह रहे हो।
यह पर्व कई मायनों में भी खास है। इस पर्व को लोग ठंड आने का आगमन के रूप में भी मनाते है, इसके बाद से ही ठंड का भी शुरुआत हो जाता है। वैज्ञानिक दृष्टिकोण से भी इस समय सूर्य को सुबह और शाम में अर्ग देने से कई लाभ मिलते है।
अतः दोस्तो आप सभी से अनुरोध है के अपना और अपने परिवार का ध्यान रखते हुए इस महापर्व का आनंद ले और गंगा और अन्य नदियों में स्नान करते समय सावधानी जरूर बरते। और किसी भी खास विधि विधान को करने से पहले जानकार की राय अवश्य ले।