Chhath puja 2024:बिहार का महापर्व, आस्था का पर्व

Arnav Patel

Chhath puja:बिहार में छठ का माहौल बन चुका है। पूरे भारत भर से लोग अपने अपने घर आ चुके है या आने की तैयारी में है। ट्रेनों बसों के भीड़ भाड़ को देख कर ही पता चल रहा है के छठ पूजा आने वाला है।

वेटिंग लिस्ट बहुत लंबी हो चुकी है। हवाई जहाज के भारा में भी जबरदस्त उछाल देखने को मिल रहा है। ऐन दिनों की अपेक्षा दोगुने से तीगुने दामों पर मिल रहे है। कई लोग तो अपने निजी वाहनों से लंबी दूरी तय करने को मजबूर है।

Chhath puja: जाने क्यों है खास

छठ पर्व नजदीक आते ही एक अलग से माहौल देखने को मिलता है एक अजीब से हर्षोल्लास का माहौल बन जाता है। छठ पर्व अपने आप में इसलिए भी खास है क्योंकि यही वो समय होता है जब लोग अपने प्रियजनों से मिलते है जिनसे मिलना भी दूभर हो जाता है इस भाग दौड़ वाली जिंदगी में। चाहे लोग देश के किसी भी कोने में रहे या विदेश में ही क्यों न हो, छठ पूजा में लोग अपने घर अपने बिहार में जरूर आते है। और अपने साथ एक अलग अनुभूति के साथ आते है जिससे खुशी का माहौल बन जाता है।

चार दिन का यह महापर्व कई मायनों में खास होता है। इस पर्व की शुरुआत नहाय खाए से होती है। और उगते सूर्य की पूजा कर के खत्म होती है। जहां दुनिया सिर्फ उगते हुए लोगों को उस यू कहे तो जो बलवान ताकतवर है उसी की सलामी करते है या जो पैसे वाले है उन्हीं के आगे पीछे करते है।परंतु यही वह पर्व है जिसमें डूबते हुए सूरज की भी पूजा की जाती है। और हमे यह शिक्षा देती है के हमे सभी का बराबर मान सम्मान करना चाहिए।

Chhath puja: पौराणिक महत्वता

वैसे तो इस पर्व को मनाने के कई पौराणिक कहानियां है, परंतु वैज्ञानिक दृष्टिकोण से भी यह बहुत ही महत्वपूर्ण पर्व है। छठ पर्व कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थ तिथि को मनाया जाता है। और इस समय जो किरणे सूर्य से निकलती है हमारे शरीर के लिए बहुत ही लाभदायक फायदेमंद होती है। छठ पूजा में कई प्रकार के फलों का इस्तेमाल होता है, कई तो ऐसे फल है जो अगर साल भर हम न भी खाए लेकिन छठ महापर्व में जरूर खाते है जैसे गागल नींबू, गन्ना आदि।

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार छठ पूजा सबसे पहले माता सीता ने की थी। पौराणिक कथाओं के अनुसार द्वापर युग में भी द्रौपदी एवं पांडवों द्वारा छठ पूजा करने का प्रसंग मिलता है। इस पर्व में छठी मैया की पूजा होती है। मान्यता के अनुसार छठ माता ब्रह्मा जी की मानस पुत्री है। कई कथाओं के अनुसार छठी मैया भगवान सूर्य की बहन है।

छठ पूजा के गीत सुनकर अलग ही आनंद मिलता है एक अजीब सी खुशी का अहसास होता है मानो अपनो से मिलने का समय है। गाओ की ओर रुख करने का समय है, पूजा पाठ का समय है। चाहे वो गुड़ की बनी खीर हो , घाट पर जाना है, गन्ने से बना कर कोसी भरना हो, इन सब की अलग ही अनुभूति होती है।

Chhath puja 2024: कब है छठ पूजा इस वर्ष

इस बार छठ पूजा 5 नवंबर से 8 नवंबर तक मनाया जाएगा। यह पर्व वैसे तो बिहार में ज्यादा धूम धाम से मनाया जाता है लेकिन इसकी प्रसिद्धि धीरे धीरे पूरे देश भर में फैल रही है और अन्य राज्यों के लोग भी इस पर्व को मनाते है। चाहे वो किसी भी धर्म और जाती के क्यों न हो। इस समय लोग खुद से साफ सफाई का इतना ध्यान रखते है के देखने में गांव शहर महमोहक लगता है। हमे कोशिश करनी चाहिए के सालों भर ऐसा ही माहौल रहे।

डिस्क्लेमर: खबर भास्कर द्वारा ऊपर लिखा गया लेख, जानकारी देना भर है एवं किसी भी तथ्य की पुष्टि नहीं करता है।

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