Bhai dooj:दोस्तो भाई दूज का पर्व इस बार 3 नवंबर को मनाया जाएगा। इस दिन बहन अपने भाई की लंबी आयु की कामना करती है और उसे तिलक लगा कर पूजा करती है।
Bhai dooj: आइये जानते है इसकी पौराणिक कहानी को
दोस्तो आज के इस लेख में हम जानेंगे की आखिर क्यों मनाई जाती है भाई दूज और इसकी परंपरा कब से शुरू हुई। दोस्तो इसकी पौराणिक कहानी भगवान सूर्य देव से जुड़ी हुई है। हिंदू मान्यता के अनुसार भाई दूज का पर्व भगवान सूर्य की संतानों में यम और देवी यमुना से जुड़ा हुआ है।
सूर्य भगवान की पत्नी देवी संज्ञा जब सूर्य देव के तेज को सहन नहीं कर पाई तब उन्होंने अपनी संतानों को अपनी छाया को सौंप कर चली गई जिसे छाया नाम से ही जाना गया। देवी छाया को अपनी संतानों से उतना मोह नहीं था, परंतु आपस में सभी का बड़ा स्नेह था। इसी कारण देवी यमुना हमेशा अपने भाई यम को बुलाते रहती थी लेकिन किसी कारण वश यम अपनी बहन के पास नहीं जा पाते थे।
एक दिन यम देव अचानक से अपनी बहन के पास पहुंच गए। और वो दिन था कार्तिक महीने के शुक्ल पक्ष की द्वितीय तिथि। अपने भाई को अचानक देख कर देवी यमुना अत्यंत प्रसन्न हुई और अपने भाई का खूब आदर भाव किया। भगवान यम अपनी बहन के आव भगत से इतने प्रसन्न हुए के अपनी बहन को आशीर्वाद दिया और एक वरदान मांगने को कहा। वरदान के रूप में देवी यमुना ने यही कहा के हर वर्ष इसी तिथि के दिन यम अपनी बहन से मिलने जरूर आए।
और इसी दिन से इस तिथि को भाई दूज यानी भैया दूज के रूप में मनाया जाने लगा।
Bhai dooj: कब मनाई जाती है
दोस्तो क्योंकि इस दिन भगवान यम अपनी बहन से मिलने कार्तिक महीने के शुक्ल पक्ष की दूसरी तिथि को आए थें इसी लिए हर साल इस दिन भाई दूज का पर्व मनाया जाता है।
Bhai dooj: क्या है विशेष इस दिन, क्या पुण्य मिलता है।
दोस्तो मान्यता है के इस दिन जो भाई अपनी बहन से तिलक करवाता है पुण्य का भागी होता है और उसे अकाल मृत्यु का भय भी दूर होता है। क्योंकि स्वयं यम के देवता का आशीर्वाद प्राप्त होता है। इस दिन को यम द्वितीय के नाम से भी जाना जाता है। मान्यता के अनुसार इस दिन जो लोग यमुना नदी में स्नान करते है भाई बहन को सुख समृद्धि आदि का लाभ होता है। सैकड़ों की संख्या में इस दिन लोग यमुना नदी में स्नान करते है।
Bhai dooj: इस दिन क्या करे
इस दिन भाई बहन को सुबह सुबह स्नान आदि कर के स्वकछ होकर या जिन बहनों की शादी हो चुकी है उनके पास जाना चाहिए। उसके बाद भगवान श्री गणेश जी की पूजा करनी चाहिए क्योंकि मान्यता के अनुसार कोई भी शुभ कार्य करने के पहले गणेश जी की पूजा होती है। उसके बाद बहन अपने भाई को अक्षत रोली लगती है। बहन अपने भाई की लंबी आयु के लिए प्रार्थना करती है और भाई भी उसे लंबी आयु का वरदान देता है। फिर बहन अपने भाई को भोजन आदि कराकर खुद भोजन करती है। इसमें भाई अपनी बहन को उपहार से ऐसी भी मान्यता है।
इसके अलावे दोस्तो कुछ लोक कथाएं भी प्रचलित है और अलग अलग मान्यता है। परंतु हमने यह पर बात की इसके पीछे की पौराणिक कहानी के बारे में। कार्तिक मास के महीने में बहुत ही खास खास पर्व आते है इस कारण भी कार्तिक मास बहुत ही महत्वपूर्ण महीना माना जाता है। इसी महीने में छठ पूजा और गोवर्धन पूजा भी मनाई जाती है जिसकी अपनी अपनी मान्यता है।
डिस्क्लेमर: दोस्तो क्योंकि कोई भी पूजा विधि सही ढंग से करने से ज्यादा उचित लाभ मिलता है इसलिए खबर भास्कर की टीम से अनुरोध है के कोई भी पूजा विधि को करने से पहले किसी विशेषज्ञ की राय जरूर ले।